मैत्री प्रक्रिया क्या है?
अपने शरीर, मन और आत्मा को संरेखित करें और स्वस्थ रहें
मैत्री प्रक्रिया प्रगाढ़ शुद्धि और सामंजस्य स्थापित करने की एक गहन विधि है जिसमें गहराइयों तक पहुंचे हुए अवचेतन अवरोधों को हटा दिया जाता है। यह विधि हमारे अस्तित्व की सबसे सूक्ष्म परत – कारण शरीर – जहां कर्म प्रभाव की जड़ें होती हैं, वहां भी कारगर होती है। यद्यपि इस विधि का प्रभाव ऊर्जा स्तोत्र में गहराई तक होता है, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मैत्री प्रक्रिया कर्म के भाग्य पहलू में हस्तक्षेप नहीं करती है (क्योंकि भाग्य पहलू आत्मा के स्तर पर चुना जाता है, चाहे फिर यह हमारे मन के लिए प्रिय हो या अप्रिय)
मैत्री प्रक्रिया देने वालों के लिए यह एक उदेश्यपूर्ण ध्यान की तरह होता है।
प्रक्रिया के दौरान परम एकाग्रता (धारणा) के माध्यम से, प्रैक्टिशनर उस ध्यान की अवस्था में पहुँच जाता है, जहाँ उसका कोई अस्तित्व नहीं होता और वह केवल स्रोत, यानि मोहनजी की चेतना, के माध्यम से बहने वाली ऊर्जा को ले जाने के लिए शुद्ध वाहक के रूप में कार्य करता है।
इसी कारण मैत्री का असर लेने वाले के कर्मों पर और उनकी ग्रहणशीलता और स्वतंत्र इच्छा पर निर्भर करता है। मैत्री देने वाले के लिए यह एक उद्देश्य के साथ ध्यान ,एक साधना (आध्यात्मिक अभ्यास) के समान होता है।
मैत्री का अर्थ
मोहनजी के खुद की हीलिंग के बारे में विचार
हीलिंग सृष्टि का एक हिस्सा है। हीलिंग, पुनरोद्धार और कायाकल्प ऐसे पहलू हैं जो स्थलीय अस्तित्व से गहराई से जुड़े हुए हैं। उपचार अपने आप होता है, जब तक कि मन इसे रोकता नहीं है। सहज उपचार तब होता है जब हम प्रकृति को बिना किसी रुकावट के कार्य करने देते हैं। हीलिंग देने वाले सिर्फ यह कामना करते हैं की हीलिंग हो जाए। हीईलिंग लेने वाला ऐसा होने देता है। हम सब प्राकृतिक उपचारक हैं; हर पुरुष, महिला और बच्चे में स्वाभाविक रूप से खुद को ठीक करने की क्षमता होती है। सभी पशु पक्षी और सरीसृप अपने आप ठीक हो जाते हैं। हीलिंग हमारी संरचना का हिस्सा है।
लाभ
यह विधि स्वयं को स्वस्थ रखने और सभी स्तरों पर आंतरिक संतुलन की बहाली में मदद करती है। प्रत्येक मैत्री सत्र के तीन भाग होते हैं, जिनमें से प्रत्येक का एक विशिष्ट लाभ होता है।
व्यक्तिगत मैत्री सत्रों के अलावा, मैत्री पद्धति का एक समूह संस्करण भी है, जिसे केवल चयनित वरिष्ठ मैत्री प्रैक्टिशनर द्वारा संचालित किया जाता है। समूह सत्रों की एक अलग गति और कार्यप्रणाली होती है। सुरक्षा और प्रभावशीलता के लिए मोहनजी की सूक्ष्म उपस्थिति के आह्वान के साथ इन सत्रों को व्यक्तिगत रूप से या ऑनलाइन भी किया जा सकता है। इस में हाथों को चक्रों पर रखने वाला तरीका नहीं अपनाते हैं, केवल मौखिक मार्गदर्शन से ऊर्जा अपना कार्य करती है। इन सत्रों के दौरान समूह ऊर्जा बहुत अधिक होती है और हीलिंग की प्रक्रिया गहन होती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मैत्री प्रक्रिया दीक्षित प्रैक्टिशनर्स द्वारा की जाती है, जो मोहनजी की चेतना से जुड़ते हैं और अपनी हथेलियों के माध्यम से ऊर्जा को मैत्री प्राप्त करने वाले के शरीर के आगे और पीछे से चक्रों (ऊर्जा केंद्रों) तक पहुंचाते हैं।
मैत्री प्रक्रिया का अनुभव सभी आयु वर्ग के व्यक्ति कर सकते हैं – छोटे बच्चों (5 वर्ष और उससे अधिक उम्र के) से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक, स्वास्थ्य की किसी भी स्थिति में। गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए, मैत्री प्रक्रिया थोड़ी सौम्य होती है और मुख्य रूप से उसका उद्देश्य स्वास्थ्य, कायाकल्प और सुरक्षा होता है।
भुगतान/ऊर्जा विनिमय
ऊर्जा विनिमय का सम्मान मैत्री पद्धति का एक महत्वपूर्ण पहलू है। मैत्री प्रैक्टिशनर्स को मिलने वाली राशि का आधा भाग जरूरतमंद लोगों और अन्य संवेदनशील प्राणियों को खिलाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। निस्वार्थ सेवा के माध्यम से दूसरे की भूख को तृप्त करना मैत्री प्रक्रिया के शुद्धिकरण और संतुलन प्रभाव की गहराई को बढ़ाता है। विनिमय की राशि सीधे चयनित मैत्री प्रैक्टिशनर के साथ मिल कर तय की जानी चाहिए।
प्रशंसा पत्र
मैत्री सत्र कैसे करवाएं
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